किसी बहन से छूटा भाई का हाथ, कोई बेटी दरवाजे पर खड़ी थी इसलिए बच गई तो किसी ससुर ने बहू-पोते को खोया

 मध्यप्रदेश के सीधी जिले में मंगलवार को हुए बस हादसे में नहर से बुधवार को भी शव निकाले गए। इस दुर्घटना के बचे लोगों ने दैनिक भास्कर से अपना दर्द साझा किया। हम ऐसे चार लोगों की कहानी बता रहे हैं।

1. दरवाजे के पास खड़ी थी, इसलिए बच गई, लेकिन मां को नहीं बचा सकी: स्वर्णलता द्विवेदी
रामपुर नैकिन की स्वर्णलता द्विवेदी (24) ने बताया, ‘मेरा 12 बजे से सतना में नर्सिंग का पेपर होना था। मां विमाला के साथ सुबह 7 बजे बस में सवार हुई। मां कंडक्टर सीट के पीछे बैठी थी, जबकि भीड़ होने के कारण मैं दरवाजे के पास खड़ी थी। ओवरलोड होने के बाद भी ड्राइवर फुल स्पीड में बस चला रहा था। तभी जोरदार झटका लगा और बस सरदा पटना नहर में पलट गई। मैं दरवाजे से बाहर पानी में गिर गई। थोड़ा बहुत तैरना जानती थी। हाथ-पैर चलाने लगी तो कुछ लोगों ने रस्सी फेंककर मुझे किनारे लगा लिया, लेकिन मेरी आंखों के सामने मां डूब गई।’

2. शिवरानी ने मुझे बचाया, लेकिन बहू-पोता बह गए: सुरेश गुप्ता



रामपुर नैकिन के सुरेश गुप्ता ने बताया, ‘बहू पिंकी (24) और दो साल का पोता अथर्व अब इस दुनिया में नहीं रहे। पिंकी की दादी का कुछ दिन पहले निधन हो गया था। हम तीनों उनकी तेरहवीं में शामिल होने नागौद जा रहे थे। बस पलटी तो मैं नहर में करीब 500 मीटर तक बह गया। सांसें उखड़ रही थीं, तभी किनारे खड़ी शिवरानी ने हिम्मत बढ़ाई। उसने मुझे बचाने के लिए नहर में छलांग लगा दी और हाथ पकड़कर किनारे लगा दिया।’



3. अंकल का शव बस में मिला, वे मुझे परीक्षा दिलाने ले जा रहे थे: अर्चना जायसवाल
इटमा सिंगरौली की रहने वाली अर्चना जायसवाल (23) रामपुर नैकिन अस्पताल में भर्ती हैं। उन्होंने बताया, ‘मैं डॉ. हीरालाल जी शर्मा (60) के घर में किराए से रहती थी। वे रिटायर्ड टीचर थे। अंकल मुझे एएनएम (ऑक्सिलरी नर्स मिडवाइफरी) की परीक्षा दिलाने सतना ले जा रहे थे। मैं तो बच गई, लेकिन पता चला कि अंकल का शव बस के अंदर मिला।’

4. भाई हमेशा के लिए हाथ छुड़ाकर चला गया: विभा प्रजापति
सीधी के कुसमी दुआरी की विभा प्रजापति (21) के भाई दीपेश (20) की भी इस हादसे में मौत हो गई। विभा ने बताया, ‘बस पलटी तो मैंने दीपेश की कलाई जोर से पकड़ ली, लेकिन तेज बहाव में हाथ छूट गया। मैंने भाई को बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो सकी।’

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